हम तेरे शहर में Ham Tere Shahar me best ghazal lyrics sung by Yusuf Malik |
आलाप....
शायरी-
चंद कलियों के मुस्कुराने से
ज़ख्म जागे कई पुराने से
दो कदम मैं तो चल नही सकता-2
तू ही मिल जा किसी बहाने से
ग़ज़ल-
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
मेरी मंज़िल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ
(कोरस)
शायरी-
तुझको इज़हार ए मोहब्बत से अगर नफरत है
तूने होंठो को लरज़्ने से तो रोका होता
और हौंसला तुझमें न था मुझसे जुदा होने का
वरना तेरी आंखों काजल ना फैला होता
मेरी मंज़िल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ(कोरस)
शायरी-
दिल ए उम्मीद तोड़ा है किसी ने
सहारा देकर मुझको छोडा है किसी ने
और मैं उन शिशागरों से पूछता हूँ
क्या कभी टूटा दिल भी जोड़ा है किसी ने
ना मंजिल है ना मंज़िल का निशाँ है
कहाँ पर लाकर छोड़ा है किसी ने
मेरी मंज़िल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ(कोरस)
शायरी-
मौसमे बहारा की हर अदा सताती है
फूल ज़ख्म देते है चाँदनी जलाती है
और कारवां से मंज़िल तक कुछ नज़र नही आता
जब किसी मुसाफिर की आस टूट जाती है
मेरी मंज़िल है कहाँ मेरा ठिकाना है कहाँ(कोरस)
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए एक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
अपनी आँखों में छुपा रखे है जुगनू मैंने
(कोरस)
शायरी-
अपनी आँखों में छुपा रखे है जुगनू मैंने
शायरी-
मुझको दर्द ए इश्क का हर एक मज़ा मालूम है
और दर्द ए दिल की दगा क्या इंतहा मालूम है
ज़िंदगी भर मुस्कुराने की दुवा मत दीजिये
मुझको पल भर मुस्कुराने की सज़ा मालूम है
अपनी आँखों में छुपा रखे है जुगनू मैंने(कोरस)
अपनी पलकों पे सजा रखे है आँसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
आज की रात मेरा दर्द ए मोहब्बत सुनले
(कोरस)
शायरी-
हर वरख्त पर तेरी तसवीर नज़र आती है
और आज ये किसने किताबों को खुला छोड़ दिया
ये बता अहदे वफ़ा तोड़ के जाने वाले
क्या मुझे तूने हमेशा के लिए छोड़ दिया
आज की रात मेरा दर्द ए मोहब्बत सुनले(कोरस)
शायरी-
तेरी गलियों में आने जाने से
दुश्मनी हो गयी जमाने से
शौक ए दीदार दे रहा है सदा
मिलने आजा किसी बहाने से
आज की रात मेरा दर्द ए मोहब्बत सुनले(कोरस)
शायरी-
गली क्यों मांग की सूनी है अब तक
इधर आ मैं तुझे महफूज़ कर दूँ
और हिफाज़त का है ये बेहतर तरीका
आ मैं तेरी मांग में सिंदूर भर दूँ
आज की रात मेरा दर्द ए मोहब्बत सुनले(कोरस)
कंपकपाते हुए होंठो की शिकायत सुन ले
आज इज़हार ए ख़यालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
भूलना था तो ये इक़रार किया ही क्यों था
(कोरस)
बेवफ़ा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
(कोरस)
भूलना था तो ये इक़रार किया ही क्यों था
(कोरस)
बेवफ़ा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
(कोरस)
सिर्फ अहसास जताने की जरूरत क्या थी
आके जाना था तो आने की जरूरत क्या थी
हाल पूछा भी नही हाल बताया भी नही
ऐसे आना था तो आने की जरूरत क्या थी
आंधिया आती है आएगी यकीं था तुझको
फिर भला बाग लगाने की जरूरत क्या थी
जब तुझे गैर की दामन से लिपट जाना था
मुझसे नज़रो को मिलाने की जरूरत क्या थी
भूलना था तो ये इक़रार किया ही क्यों था(कोरस)
बेवफ़ा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
सिर्फ दो चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह
(2xकोरस)
हम तेरे शहर में आये है
मुसाफिर की तरह-3
हम्म्म्म हम्म हम्ममह..
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1 टिप्पणियाँ
Nice song
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